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नोनपुर बाल कला जत्था के चार कलाकारों ने बीपीएससी में लहराया परचम, बने संगीत शिक्षक।

नोनपुर बाल कला जत्था के चार कलाकारों ने बीपीएससी में लहराया परचम,बने संगीत शिक्षक।

तेघड़ा ,बेगूसराय

शिक्षा और विकास के क्षेत्र में पिछड़े उत्तर तेघड़ा के चार पंचायत में से प्रखंड के अंतिम पूर्वी क्षेत्र सुदूरवर्ती  पिपरा दोदराज जो बेगूसराय के नक्सलगढ़ कहे जाने वाले पंचायत जहां से साक्षरता के प्रारंभिक दौड़ 1994 - 95  से क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगाने एवं निरक्षरता रूपी कलंक को मिटाने के लिए नोनपुर बाल कला जत्था की स्थापना दिवंगत पूर्व प्रखंड सचिव राम बालक पासवान के पहल पर  की गई थी।


इसमें दर्जनों बच्चे को बाल कलाकार के रूप में शामिल किया गया था। जिस  बाल कला जत्था के माध्यम से तेघड़ा प्रखंड सहित पूरे जिले में साक्षरता, बुनियादी शिक्षा, स्वास्थ्य , महिला सशक्तिकरण, मतदाता जागरूकता के साथ ही सामाजिक कुरीतियां अंधविश्वास, नशा निषेध, बाल विवाह दहेज प्रथा उन्मूलन के अलावे विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक सुधार के लिए निरंतर जागरूकता लाने का भागीरथ पहल कदमी के बीच समय के साथ कलाकारों ने उच्च शिक्षा पाने के साथ  ही कला , संगीत व  शिक्षा के क्षेत्र में भी उत्कृष्ट सफलता हासिल किया जिसके बदौलत एक साथ बाल कला जत्था के चार कलाकारों ने बीपीएससी परीक्षा पास कर माध्यमिक विद्यालय में संगीत शिक्षक के रूप में चयन होकर परचम लहराया है।

जिससे नोंनरपुर  गांव, तेघड़ा  प्रखंड सहित पूरे जिले के अंदर खुशी का माहौल है। जिसमें सुबोध कुमार पिता नरेश सहनी उर्फ ढालों (नोनपुर), अमरेश कुमार पासवान पिता स्वर्गीय बिंदेश्वरी पासवान(फरदी) , दीपक कुमार ठाकुर पिता योगेंद्र ठाकुर (नोनपुर), नरेंद्र कुमार सहनी पिता रामदास सहनी (पकठौल), ने सफलता अपने नाम की। इस सफलता के बाद गांव के बुद्धिजीवी लोगों का कहना है कि यह इलाका काफी पिछड़ा इलाका है इस इलाके में ग्रेजुएट लोग इक्के दुक्के ही मिलते थे। क्षेत्र के लोग अपने बच्चों को बड़े होने पर पढ़ाई नहीं कराकर सीधे रोजगार के लिए दिल्ली ,पंजाब भेज दिया करते थे साक्षरता और बाल कला जत्था का देन है कि उत्तर तेघड़ा के गांवों  में शिक्षा को लेकर लोग सजग हुए हें। अब शिक्षा की स्थिति में सुधार के साथ नौजवानों को नौकरी में जाने से गांव के लोग अपने बच्चों को  अब पढ़ाई से जोड़ रहे हें। तो  सफलता  सामने आ रहा है। पिपरा दोदराज के मुखिया नीरज प्रभाकर एवं पकठौल  के मुखिया पंकज सहनी ने बताया कि क्षेत्र के इन युवाओं की सफलता यह प्रदर्शित कर रही है कि क्षेत्र में शिक्षा की अलख जागी है। संगीत शिक्षक बने बाल कला जत्था के सभी कलाकारों को बधाई ताकि वह अपने स्कूल के छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के साथ अपने समाज के लिए भी कुछ बेहतर कर सके। शिक्षक के पद पर सफलता हासिल किये चारों कलाकारों ने संयुक्त रूप से बताया कि विपरीत से विपरीत  परिस्थितियों में भी अपनी हार ना मानने की जिद को कमतर नहीं होने दिया । अपने आत्मविश्वास अथक मेहनत और निरंतरता के फलस्वरूप सफलता हासिल हुई।विद्यालय में अनुशासन व्यवस्था बनाने में संगीत का मुख्य योगदान होता है। संगीत से न केवल मन की शांति होती है बल्कि करियर्स बनाने में भी सहायक है। संगीत शिक्षा हर बच्चों के लिए जरूरी है।  जरूरत है इसे गुणवत्ता लाने के लिए शिक्षकों की अहम भूमिका निभाने की। इन कलाकारों की सफलता को लेकर जिला साक्षरता समिति के पूर्व सचिव एसएस आजाद, पूर्व एमएलसी उषा सहनी, साक्षरता के पूर्व नोडल अध्यक्ष बछवारा विधायक सुरेंद्र मेहता ,चित्रकार सीताराम, पूर्व जिला पार्षद राधा कुमारी, ज्ञान विज्ञान आंदोलन के रामकुमार सिंह, प्रमोद कुमार राय, संतोष कुमार महतो, पूर्व नोडल अध्यक्ष बाबू साहब मिश्र, पूर्व जिला पार्षद जनार्दन यादव, भारत सरकार रेल सुविधा समिति के सदस्य सुनील कुमार राम, तेघड़ा के पूर्व प्रखंड साक्षरता सचिव अशोक कुमार ठाकुर, पिपरा दोदराज के मुखिया नीरज प्रभाकर, पूर्व मुखिया विश्वनाथ प्रताप, मनोज कुमार पासवान,  सरपंच हीरालाल महतो पूर्व सरपंच राजीव पासवान एवं राम प्रवेश पंडित, पंचायत समिति सदस्य सुरेश पासवान, संजीव कुमार शंकर, बिंदु देवी, बाल कला जत्था के संस्थापक सदस्य रमाकांत ठाकुर, श्यामा कांत ठाकुर, मोहन पासवान, विकास भागवत, सुधा देवी, के अलावे बड़ी संख्या में लोगों ने बधाई दी।

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